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निर्मल मन




स्वर्णमुखी छंद (सानेट)

निर्मल मन सचमुच में प्यासा।
भूख लगी है इसे प्यार की।
मनोकामना इसे यार की।
दिखता पर यह सदा उदासा।

चाहत इसकी पूरी होगी।
सच्चे दिल से चाह रहा है।
कर जोड़े यह मांग रहा है।
यह यात्रा क्या पूरी होगी?

बहुत तमन्ना पाले मन में।
मंजिल दूर दिखाई देता।
बहुत थकित पंथी दुख खेता।
होता यह हताश जीवन में।

काट चलो यह लौकिक बंधन।
करो प्रेम से ईश्वर वंदन।।

रचनाकार: डॉक्टर रामबली मिश्र
९८३८४५३८०१

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5 Comments

Haaya meer

02-Nov-2022 05:41 PM

Amazing

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Muskan khan

02-Nov-2022 05:01 PM

Well done ✅

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Sachin dev

02-Nov-2022 04:31 PM

Nice 👌

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